NASA का दावा चांद पर मिला फिर पानी

रिपोर्ट :- कशिश

नई दिल्ली:-NASA ने दावा किया है कि उन्हें चांद की सतह पर पर्याप्त मात्रा में पानी मिला है. इसका उपयोग पीने और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा। इस पानी की खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने चंद्रमा (Moon) की सतह पर पर्याप्त मात्रा में पानी होने का दावा किया है। NASA के मुताबिक ये पानी चांद के उसी हिस्से में मौजूद है जहां सूरज की रोशनी पहुंचती है। इस बड़ी खोज से न केवल चंद्रमा पर भविष्य में होने वाले मानव मिशन को बड़ी ताकत मिलेगी. इसका उपयोग पीने और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा. इस पानी की खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है।

NASA के मुताबिक सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित,पृथ्वी से दिखाई देने वाले सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं (H2O) का पता लगाया है। पहले के हुए अध्ययनों में चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन के कुछ रूप का पता चला था, लेकिन पानी और करीबी रिश्तेदार माने जाने वाले हाइड्रॉक्सिल (OH) की खोज नहीं हो सकी थी।

वाशिंगटन में नासा मुख्यालय में विज्ञान मिशन निदेशालय में एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के निदेशक पॉल हर्ट्ज ने कहा कि हमारे पास पहले से संकेत थे कि H2O जिसे हम पानी के रूप में जानते हैं, वह चंद्रमा के सतह पर सूर्य की ओर मौजूद हो सकता है। अब हम जानते हैं कि यह वहां है। यह खोज चंद्रमा की सतह की हमारी समझ को चुनौती देती है. इससे हमें और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण करने की प्रेरणा मिलती है।

नासा की योजना चांद पर मानव बस्तियां बसाने की है. नासा पहले से ही आर्टेमिस (Artemis) प्रोग्राम के जरिए 2024 तक चांद की सतह पर मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रही है. नासा अपने आर्टेमिस प्रोग्राम के जरिए चांद की सतह पर 2024 तक इंसानों को पहुंचाना चाहता है. इसके जरिए चांद की सतह पर मानव गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा. चांद पर मौजूद इंसान उन क्षेत्रों का पता लगाएंगे जहां पहले कोई नहीं पहुंचा है या जो अबतक अछूते रहे हैं।

नेचर एस्ट्रोनॉमी के नवीनतम अंक में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इस स्थान के डेटा से 100 से 412 पार्ट प्रति मिलियन की सांद्रता में पानी का पता चला है। तुलनात्मक रूप में सोफिया ने चंद्रमा की सतह पर जितनी पानी की खोज की है उसकी मात्रा अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है. छोटी मात्रा के बावजूद यह खोज नए सवाल उठाती है कि चंद्रमा की सतह पर पानी कैसे बनता है। इससे भी बड़ा सवाल कि यह चंद्रमा के कठोर और वायुमंडलहीन वातावरण में कैसे बना रहता है।

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