स्डटी से वैज्ञानिक डाटा मिलेगा और हम एनसीआर की सरकारों से बात कर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्लान तैयार करेंगे- गोपाल राय

रिपोर्ट :- नीरज अवस्थी

नई दिल्ली :-इस अवसर पर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि रियल टाइम प्रदूषण के सोर्स को जाना जा सके और उसके अनुसार समाधान का रास्ता बनाया जा सके, उसके लिए यह स्टेशन बनाया गया है। साथ ही मोबाइल वैन भी लॉंच की गई है, जो अलग-अलग हॉटस्पॉट पर जाकर वहां के प्रदूषण के कारणों का पता लगाएगी। भविष्य में आईआईटी कानपुर व आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों की सलाह और निर्देशन के आधार पर हम आगे बढ़ेंगे। चूंकि, इसमें रियल टाइम के आधार पर वाहन, धूल, बायोमास बर्निंग व लोकल प्रदूषण आदि की जानकारी मिलेगी, इससे हमें वैज्ञानिक डाटा मिलेगा। इसी के आधार पर हम एनसीआर की सरकारों के साथ बातचीत कर प्रदूषण को नियत्रित करने के लिए प्लान करेंगे।

स्टडी से मिले डेटा का विश्लेषण कर प्रदूषण के सोर्स को किया जाएगा चिंहित

इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल के समक्ष आईटी टीम ने एक प्रजेंटेशन के जरिए रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट के सुपरसाइट और मोबाइल स्टेशन के कार्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी। टीम ने बताया कि पहले किसी स्थान पर प्रदूषण के स्रोत का पता लगाने के लिए हम सैंपल लेकर विश्लेषण करते थे। विश्लेषण में दो से चार महीने का समय लग जाता था। लेकिन अब सुपर साइट की मदद से हम हर घंटे पता लगा सकेंगे कि सांस लेने के स्तर पर पीएम-2.5 में कौन से स्रोत का कितना योगदान है। इसमें फोरकॉस्टिंग को बहुत मजबूत किया गया है। इसकी मदद से प्रदूषण को कम करने को लेकर निर्णय ले सकेंगे कि अगले तीन दिन के अंदर क्या किया जा सकता है? इसका मेजरमेंट लेने के बाद एक्शन लिया जा सकेगा। यह बताया जा सकता है कि शार्ट टर्म और लांग टर्म में क्या एक्शन लिया जा सकता है। इसकी विशेषताओं में एक सुपरसाइट है। इसमें कई तरह की मशीनें लगी हैं। जिनकी मदद से यह जान सकते हैं कि हर घंटे में क्या हो रहा है। एक मोबाइल लैब है जो हर घंटे अपोर्शनमेंट करेगी। साथ ही मोबाइल लैब को कहीं पर भी लेकर जा सकते हैं और वहां के प्रदूषण की वास्तविक स्थिति को देख सकते हैं। इसके लिए एक वेबसाइट है, जहां पर सारा डेटा एकत्र होगा। उस डेटा का विश्लेशण किया जाएगा और प्रदूषण के सोर्स को चिंहित किया जाएगा।

स्टडी के आधार पर प्रदूषण को रोकने में मिलेगी मदद

इस स्टडी से निरंतर या रियल टाइम (प्रति घंटा) के आधार पर वाहनों, कंस्ट्रक्शन साइटों पर धूल, बायोमास जलाने आदि का योगदान का पता चलेगा। यह विभिन्न इलाकों में प्रदूषण की अधिक विस्तृत जानकारी देने में मदद करेगा। इसके बाद प्रदूषण को रोकने के लिए उचित कादम उठाए जाएंगे। उदाहरण के लिए यदि पता चलता है कि धूल के कारण किसी विशेष वार्ड का भारी योगदान है, ऐसे में हम हरियाली बढ़ाने पर काम करेंगे। यदि किसी विशेष वार्ड का मुख्य योगदान उद्योग है, तो हम टीम भेजेंगे कि उद्योगों की वजह से तो प्रदूषण नहीं हो रहा हैं। साथ ही अगले 3 दिनों में पीएम-2.5 के स्तर के साथ-साथ विभिन्न स्रोतों का पूर्वानुमान लगाया जाएगा, ताकि सरकार समय रहते पूर्व कार्रवाई कर सके।दिल्ली के भीतर कितना प्रदूषण है और बाहर से कितना है, यह पता चलेगा।

मोबाइल वैन से कही पर भी प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने में मदद मिलेगी

राउज़ एवेन्यू में सुपरसाइट स्थापित किया गया है। यह रियल टाइम के आधार पर एयर क्वालिटी और स्रोतों को मापने के लिए अत्याधुनिक उपकरण हैं। साथ ही, मोबाइल वैन दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में भेजे जाएंगे, जिससे दिल्ली के हर कोने में प्रदूषण स्रोतों के बारे में पता चल पाएगा। यह एडवांस मशीन लर्निंग मॉडल के आधार पर अगले 3 दिनों के लिए पीएम- 2.5 स्तरों का पूर्वानुमान बताएगी। डेटा से जानकारी देखने के लिए डैशबोर्ड की मदद ली जाएगी। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की देखरेख में स्टडी की जाएगी। आईआईटी कानपुर, पीएम-2.5 का लीड मेजरमेंट और स्रोत में योगदान देगी। आईआईटी दिल्ली पीएम-2.5 का पूर्वानुमान और स्रोत में योगदान करेगी। ऊर्जा एवं अनुसंधान संस्थान (टेरी) एमिशन लिस्ट प्रदान करेगा।

अब खुद सरकार करेगी स्टर्डी

पहले अध्ययन एक वर्ष में एक समय (कुछ सप्ताह) पर किया जाता है और बाहरी एजेंसियों द्वारा संचालित किया जाता था और उनके ही स्वामित्व में होता है। वर्तमान प्रोजेक्ट के तहत रियल टाइम और निरंतर अध्ययन, पूरी तरह से सरकार के स्वामित्व में है। तकनीकी विशेषज्ञता वाली एजेंसी (डीपीसीसी) कई प्रतिष्ठित संगठनों और विशेषज्ञों से आती है। प्रोजेक्ट समाप्त होने के बाद आईआईटी टीम डीपीसीसी इंजीनियरों को इस काम को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करेगी। रियल टाइम और निरंतर स्टडी, जो तकनीकी विशेषज्ञता के साथ पूरी तरह से एक सरकारी एजेंसी (डीपीसीसी) के स्वामित्व में है। परियोजना समाप्त होने के बाद आईआईटी टीम की ओर से डीपीसीसी इंजीनियरों को इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी।

वेबसाइट पर ले सकेंगे प्रदूषण के पूर्वानुमानों की जानकारी

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के पूर्वानुमानों की जानकारी प्राप्त करने के एक वेबसाइट भी लांच किया है। http://raasman.com/ पर जाकर पूर्वानुमान देखे जा सकते हैं। यह रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के तहत प्रदूषण से संबंधित सभी डेटा और पूर्वानुमान के लिए एक डैशबोर्ड के रूप में कार्य करेगी।

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