यह खेदपूर्ण है की कश्मीरी पंडितों एवं अन्य विस्थापितों की पीड़ा एवं पुनर्वास में लापरवाही के मुद्दे को राजनीतिक ब्यानबाजी मे उलझा रही है केजरीवाल सरकार -दिल्ली भाजपा

रिपोर्ट :- नीरज अवस्थी

नई दिल्ली :-दिल्ली भाजपा के महामंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा है की दिल्ली में लगभग 1 लाख कशमीरी पंडित एवं अन्य विस्थापित रह रहे हैं और अरविंद केजरीवाल सरकार ने गत 7 साल मे इनके पुनर्वास अथवा उत्थान के लियें अपनी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तरह कोई ठोस काम नही किया। अब जब मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल के विधानसभा में कश्मीरी विस्थापितों की पीड़ा पर बनी फिल्म को झूठा कहने के बाद उनकी चौतरफा निंदा हो रही है तो आम आदमी पार्टी कश्मीरी टीचर्स नियमितीकरण मुद्दे पर जनता को गुमराह करने के लियें ओछी राजनीतिक ब्यानबाजी पर उतर आई है।

आज दिल्ली ही नही देशभर में विधानसभा में अरविंद केजरीवाल एवं उनके विधायकों के कश्मीरी पंडितों की पीड़ा पर लगाये अटाहास को लेकर केवल कश्मीरी विस्थापितों में ही नही सभी भारतीयों में रोष है और वह केजरीवाल से माफी की मांग कर रहे हे हैं जिससे आम आदमी पार्टी राजनीतिक कुंठा मे है।

भाजपा नेता ने कहा है की आम आदमी पार्टी प्रवक्ताओं सुश्री अतिशि एवं सौरभ भारद्वाज ने आज एक पत्रकार वार्ता कर ऐसा दर्शाने की कोशिश की कि उनकी सरकार लगातार कश्मीरी टीचर्स की सेवाओं को नियमित करना चाहती रही पर उपराज्यपाल ने उन्हे रोका। यह समझ से परे है की अगर उपराज्यपाल सरकार को रोक रहे थे तो अक्सर उपराज्यपाल के विरूद्ध मोर्चा लेने वाली आम आदमी पार्टी चुप क्यों रही।

सच यह है की इस मामले मे केजरीवाल सरकार के वकील श्री सिध्दार्थ लूथरा लगातार कोर्ट मे कहते रहे की – कश्मीरी टीचर्स को बिना किसी प्रक्रिया का पालन किये कांट्रैक्ट नौकरी दी गई इसलिये इनको नियमित नही किया जा सकता केवल कांट्रैक्ट पर ही चलाया जा सकता है।

भाजपा नेता ने कहा है इस मामले का सच यह है की भाजपा हमेशा से कश्मीरी विस्थापितों के दिल्ली में पुनर्वास को लेकर संवेदनशील रही और तत्कालीन नेताओं श्री केदारनाथ साहनी एवं श्री मदनलाल खुराना ने नौकरियों एवं स्वरोजगार दोनों के माध्यम से इनके पुनर्वास के लियें बहुत काम किया।

आज जिन कश्मीरी विस्थापितों को टीचर्स मुद्दे पर आम आदमी पार्टी अपनी झेप मिटाने के लियें राजनीति कर रही है उन्हे 1994-95 में तत्कालीन दिल्ली की भाजपा सरकार ने कांट्रैक्ट नौकरी दी थी।

जब 2009-10 में इन टीचर्स ने नियमितीकरण की मांग की तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसके विरूद्ध में प्रशासनिक लाइन ली फिर न्यायालय मे पहले कांग्रेस फिर आम आदमी पार्टी सरकार ने इनके नियमितीकरण में रोड़े अटकाये।

आज जब केजरीवाल सरकार बेनकाब हो गई है तब यह अपने बचाव के लियें कश्मीरी टीचर्स पर प्रशासनिक दबाव बना ब्यान दिलवा रहे हैं। सारा देश जानता है की विस्थापित दबाव मे होते हैं अतः वह स्थानीय सरकार का विरोध करने की स्थिती में नही हैं और केजरीवाल दल कश्मीरियों की इसी मजबूरी का लाभ उठा रहा है।

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