महाशिवरात्रि निर्णय 18 फरवरी 2023 दिन शनिवार
रिपोर्ट :- निखिल कुमार
नई दिल्ली :-शिव आराधना के लिए सनातन धर्म का विश्वविख्यात व्रतपर्व महाशिवरात्रि उत्सव 18 फरवरी शनिवार को मनाई जाएगी। यह परम ब्रह्म निराकार शिव का लिंग रूप से साकार होकर प्रकटीकरण की रात्रि है
महाशिवरात्रि का पावन पर्व प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था
महाशिवरात्रि, शिव तत्त्व का उत्सव मनाने का दिन है। इस दिन सभी साधक और भक्त मिलकर उत्सव मनाते हैं। शिव तत्व यानी वह सिद्धांत या सत्य जो हमारी आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है। यह वही परम सत्य है जिसकी हम खोज कर रहे हैं । ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि साधना, शरीर, मन और अहंकार के लिए गहन विश्राम का समय है। जो भक्त को परम ज्ञान के प्रति जागृत करता है।
महाशिवरात्रि पर वैसे तो भगवान शिव की पूजा आराधना और विशेष कृपा पाने के लिए सावन का महीना उत्तम माना जाता है, लेकिन इसके अलावा प्रदोष व्रत सोमवार मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के पर्व का भी विशेष महत्व होता है.
महाशिवरात्रि पर देशभर के सभी ज्योतिर्लिंगों और शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. यहां पर लोग शिवलिंग का जलाभिषेक रुद्राभिषेक विधि विधान से करते हैं. चलिए जानते हैं आचार्य उत्सव शुक्ल भरद्वाज के अनुसार महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है और क्या है इसका महत्व
महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत सी कहानियां वर्णित की गई हैं. इन्हीं में से एक कहानी है जो बताती है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था. फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने बैरागी छोड़कर माता पार्वती के संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था. इसी वजह से हर वर्ष फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. ऐसा मानते हैं कि इस दिन भगवान शिव की हृदय से पूजा अर्चना करने से तमाम तरह की वैवाहिक जीवन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं और दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि आती है. ऐसा भी मानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन ही सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे. कई लोग 12 ज्योतिर्लिंग के प्रकट होने की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाते हैं.
महाशिवरात्रि का महत्व
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व को बेहद पवित्र माना जाता है और इसे धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव के अनुयाई विशेष पूजा अर्चना करते हैं और उपवास रखते हैं. ये त्योहार मुख्य रूप से भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पित करके मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि के त्योहार पर भगवान शिव की पूजा उपासना करने से दुखों को खत्म किया जा सकता है. भगवान शिव को आदि गुरु का दर्जा दिया गया है जो ज्ञान और विवेक के सृजनहार माने जाते हैं.
महाशिवरात्रि शब्द 3 शब्दो के समायोजन से बना है. महा का अर्थ है महान, शिव हमारे देवता हैं और रात्रि का अर्थ है रात इन तीनों का शाब्दिक अर्थ निकलता है शिव की महान रात. हिंदू धर्म में मान्यता है कि जब हम अपनी प्रार्थना भगवान शिव को अर्पित करते हैं और बहुमूल्य जीवन देने और सुरक्षा प्रदान करने के लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का महत्व
रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव हर मनोकामना पूरी करते हैं। साथ ही इससे ग्रह जनित दोष, रोग, कष्ट और पाप से मुक्ति मिलती है। शिवपुराण में भी रुद्राभिषेक की महिमा का वर्णन किया गया है। यदि कोई मनोकामना हो तो सच्चे मन से रुद्राभिषेक करके देखें, निश्चित रूप से लाभ की प्राप्ति होगी।