नोटबंदी के दिन को आज भी लोग नहीं भूल पाए पांचवीं बरसी मनाई यूथ कांग्रेस ने

रिपोर्ट :- पंकज भारती

नई दिल्ली : आज से 5 साल पहले 8 नवंबर 2016 की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक से राष्ट्र को संबोधित करते हुए 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी , सरकार ने लोगों को डिजिटल तरीके से भुगतान करने को प्रेरित किया था सरकार के मुताबिक नोटबंदी का एक अहम उद्देश्य सिस्टम में से नगदी घटाना था. वही आपको बता दें की नोटबंदी होने के बाद लोगों को बहुत तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ा था,
वह आपको बता दें की सरकार ने पुराने नोट बंद करने के बाद 2000 के नए नोट लाने की घोषणा की थी, जो नोटबंदी के फ़ैसले के साथ ही बाज़ार में आ तो गए थे लेकिन इसे लेकर सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसे जल्दी कोई दुकानदार लेना नहीं चाह रहा था ,

क्योंकि 500 और हजार रुपए के नोट बाजार में पर्याप्त नहीं थे इसलिए इसके छुट्टी लेने में लोगों को ज्यादा तकलीफ हो रही थी नोटबंदी के बाद जो सबसे बड़ी समस्या देखने को मिली वह है एटीएम के बाहर लगने वाली लंबी लंबी लाइन जी हां 2016 में नोटबंदी के बाद एटीएम के बाहर लोग लंबी लंबी लाइन में कई कई घंटों खड़े हो रहे थे,

कई घंटे लाइन में खड़े होने के बाद भी लोगों को खाली हाथ जाना पड़ रहा था क्योंकि एटीएम भी उस समय खाली डिब्बे बन रहे थे, वही पैसा जमा करने के लिए भी बैंकों में लोगों की लंबी लाइन देखने को मिल रही थी बैंकों में पुराने नोट के रूप में जमा करने के लिए भारी भीड़ उमड़ रही थी,
वही पैसे को निकालने के लिए भी लोगों को मुसीबतें झेलनी पड़ी बैंक से पैसा निकालने के लिए भी एटीएम की तरह ही लंबी-लंबी लाइनों में लोगों को खड़ा होना पढ़ रहा था,
ख़राब नोट की समस्या भी थी ख़राब नोटों को पहले वापस लेकर उनकी रिसाइक्लिंग की बात कही गई थी. लेकिन कैश के अभाव में उन्हें भी बैंकों की ओर से दिया जा रहा था. ऐसे नोटों को लेने से लोग और दुकानदार आनाकानी करते थे।

जनवरी 2014 में जब यूपीए सरकार ने 2005 से पहले जारी हुए 31 मार्च तक के नोट बदलने का फैसला लिया था तब बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने तत्कालीन वित्त मंत्री के इस कदम की आलोचना की थी. बीजेपी की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम को निशाने पर लिया था और कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए नोटबंदी के इस फैसले को लेखी ने ‘गरीब विरोधी’ कदम करार दिया था।


लेखी ने कहा था ‘500 के नोट को विमुद्रीकरण करने की वित्त मंत्री की नई चाल विदेशों में जमा काले धन को संरक्षण प्रदान करने की है…यह कदम पूरी तरह से गरीब-विरोधी है, उन्होंने पी. चिदंबरम पर ‘आम औरत’ और ‘आदमी’ को परेशान करने की योजना बनाने का आरोप लगाया था. खासकर उन लोगों को जो अशिक्षित हैं और जिनके पास बैंक खाता नहीं है. उन्होंने अपने बयान में कहा था कि देश की 65 फीसदी जनता के पास बैंक खाते नहीं है. ऐसे लोग नकद पैसे रखते हैं और पुराने नोट को बदलने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. मीनाक्षी लेखी ने कहा था ‘ऐसे लोग जिनके पास छोटी बचत है, बैंक खाता नहीं है, उनकी जिंदगी प्रभावित होगी. वर्तमान योजना से कालेधन पर लगाम नहीं लगेगी।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सरकार के निर्णय का विरोध करने वाली विपक्षी पार्टियां कालेधन का समर्थन करती हैं. उन्होंने कहा ‘मैं कालाधन रखने वालों, नकली नोट, आतंकवादियों, हवाला कारोबारियों, नक्सलवादियों और ड्रग तस्करों का दर्द समझ सकता हूं. मुझे सबसे ज्यादा हैरानी इस बात से हुई कि इसमे कुछ राजनीति पार्टियां भी शामिल हैं,
हालांकि पीएम मोदी के इस कदम की प्रशंसा हो रही है लेकिन कई विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि इससे गरीबों को परेशानी हो रही है वही आज भी लोग नोटबंदी का वह दिन नहीं भूल पाए।

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