नई आबकारी नीति से पूर्वांचलवासियों को सबसे ज्यादा नुकसान- कौशल मिश्रा
रिपोर्ट :- नीरज अवस्थी
नई दिल्ली, प्रदेश पूर्वांचल मोर्चा भाजपा अध्यक्ष कौशल मिश्रा ने केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति को खुद का जेब भरने और पार्टी फंडिंग का जरिया करार देते हुए कहा कि इस नई आबकारी नीति से अरविंद केजरीवाल सिर्फ अपनी और अपनी पार्टी की चिंता कर रहे हैं। उन्हें उन लाखों पूर्वांचलियों की कोई चिंता नहीं है जिनका दिल्ली के विकास में और उन्हें सत्ता की कुर्सी पर बैठाने में महत्वपूर्ण योगदान हैं। कौशल मिश्रा ने कहा कि इस नई आबकारी नीति के कारण पूर्वांचलियों का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है जिसमें गरीब, दिहाड़ी मजदूर और रेड़ी पटरी वाले पूर्वांचलवासी हैं। शराब की तलब लगती है तो व्यक्ति को घर में रोटी के इंतजाम की फिक्र नहीं रहती है, वह पहले अपनी शराब का इंतजाम करता है। इसके बाद कुछ बच गया तो घर जाएगा, अन्यथा घर पर परिवार के सदस्य भूखे सोएंगे। दिल्ली में इसी तरह की स्थिति पैदा हो गई है।
कौशल मिश्रा ने कहा कि शराब आसानी से उपलब्ध होने के कारण दिहाड़ी मजदूर के दिन भर की कमाई का हिस्सा ठेके पर जा रहा है। घर के आस-पास ठेका होने से शराब खरीदने में उन्हें संकोच तक नहीं है। शाम को शराब पीकर पूरा पैसा ठेके में झोंकने का दिहाड़ी मजदूर कर रहे हैं। कई जगहों पर स्थिति और भी भयावह है जहां मजदूर शराब पीकर ठेके के सामने ही नशे में धूत पड़े होते हैं लेकिन राजनीति पर्यटन पर व्यस्त अंधी हो चुकी केजरीवाल सरकार को शायद यह सब नहीं दिखेगा क्योंकि उन्हें तो पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए पैसे और फंडिग की जरुरत है।
मोर्चे के मीडिया प्रमुख संजय तिवारी ने कहा कि कोरोना काल के दौरान खासकर पूर्वांचलवासियों का क्या हाल हुआ, यह सबने देखा। इलाज न करा पाना, जरुरी सेवाओं से दूर रहने के कारण पूर्वांचलवासी पैदल नंगे पांव ही अपने घर की ओर चल पड़े थे। उन्होंने कहा कि आज अगर केजरीवाल सरकार दिल्ली के युवाओं, महिलाओं और जनता को शराब पीलाने की जगह अगर अस्पताल, विद्यालय और अन्य विकास की पहलुओं पर ध्यान देती तो शायद पूर्वांचलवासियों को वह ज्यादा काम आता। हकीकत तो यह है कि केजरीवाल सरकार को पूर्वाचलवासियों की चिंता बिल्कुल नहीं है और ये बातें वे पूर्व में दिए बयान में अपनी सोच बखूबी बता चुके हैं। पूर्वांचलवासियों के सबसे बड़े विरोधी अरविंद केजरीवाल को जवाब देना चाहिए कि जब वे खुद कहते हैं कि उनकी सरकार का बजट सरप्लस में है तो फिर शराब बेचकर फंडिंग की जरुरत क्यों पड़ गई?