दिल्ली सरकार की अनूठी पहल, छठीं बार दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए किया गया मेगा बुक फेयर का आयोजन

रिपोर्ट :-नीरज अवस्थी

नई दिल्ली :दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए गुरुवार को वर्चुअल मेगा बुक फेयर का आयोजन किया गया। मेगा बुक फेयर के ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से शिक्षा निदेशालय के स्कूल अपने पुस्तकालयों के लिए बेहतरीन किताबें को चुन सकेंगे।वे पब्लिशर्स को ऑनलाइन आर्डर दे पाएंगे और किताबें स्कूलों तक पहुँच जाएगी, जिससे समय की काफी बचत होगी और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहेगी।

उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने विडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा इस वर्चुअल मेगा बुक फेयर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य है, जहाँ सरकार के सभी स्कूलों के अध्यापक व बच्चे अपनी पसंद से अपनी लाइब्रेरी के लिए किताबों का चयन हार साल करते है।

उन्होंने कहा कि बच्चों के सर्वांगींण विकास में किताबों का अहम् योगदान होता है| इसके महत्त्व को समझते हुए केजरीवाल सरकार ने पिछले 6-7 सालों में अपने स्कूलों की लाइब्रेरी में काफी महत्वपूर्ण बदलाव किए है| उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अच्छी किताबें उपलब्ध करवाना है। इस दिशा में मेगा बुक फेयर का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और बच्चों को एक बहुत बड़े कलेक्शन में से अपनी पसंद की अच्छी किताबें मिल सकेंगी।

बता दे कि छठे वर्चुअल मेगा बुक फेयर के लांचिंग के अवसर पर शिक्षा सचिव अशोक कुमार, प्रधान शिक्षा सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा, निदेशक एससीईआरटी रजनीश कुमार सिंह, अतिरिक्त शिक्षा निदेशक रीता शर्मा सहित शिक्षा विभाग के अन्य वरिष्ट अधिकारी मौजूद रहें।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य है जहाँ सरकार के सारे स्कूल एक साथ इस तरह से बुक फेयर में वर्चुअल रूप से शामिल हो रहे हैं और टेक्नोलॉजी के माध्यम से बुक फेयर में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे एक-एक बच्चे, टीचर की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा रहा है| उन्होंने कहा कि यह सपना लगता है कि किसी भी स्कूल में लाइब्रेरी के लिए जो किताब खरीदी जाए, वह बच्चों व टीचर्स के पसंद व उनके आवश्कता के अनुकूल हो। दिल्ली में 2017 तक ऐसा नहीं था लेकिन अब दिल्ली के सरकारी स्कूल अपने बच्चों व टीचर्स की आवश्यकता के अनुसार किताबें खरीद सकते है।उन्होंने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में किताबों का बहुत बड़ा योगदान होता है. दिल्ली सरकार ने इसके महत्त्व को समझते हुए 6-7 सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लाइब्रेरियों में बेहद महत्वपूर्ण बदलाव किए गए है।शिक्षकों व बच्चों से लाइब्रेरी के किताबों के चयन को लेकर सुझाव लिए गए और लाइब्रेरी में उन किताबों को शामिल किया गया जो बच्चों के सकारात्मक विकास में भागीदार बनें।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि देश को नंबर-1 शिक्षा के माध्यम से ही बनाया जा सकता है।यदि हमें अपने देश को विश्व का नंबर-1 देश बनाना है तो स्कूलों में अच्छे बिल्डिंग के साथ साथ उनमे अच्छे लाइब्रेरी भी होने बेहद जरुरी है।उन्होंने कहा कि किसी स्कूल में वहां की पढाई का माहौल जानना है तो वहां की लाइब्रेरी को देखना जरुरी है, क्योंकि एक लाइब्रेरी का वातावरण और क्वालिटी ऑफ़ बुक्स स्कूल के अकादमिक ब्लूप्रिंट होता है।

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को टॉप क्लास शिक्षा देने के लिए अनोखे प्रयोग करना ही दिल्ली के शिक्षा मॉडल को विश्व में चर्चा का विषय बनाया है उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी का एक ही सपना है कि देश के हर तबके के बच्चों को वर्ल्ड क्लास शिक्षा मिले उन्होंने कहा कि जब हमारी सरकार दिल्ली आई तब दिल्ली सरकार ने सभी शिक्षको को विदेशो में ट्रेनिंग देकर उन्हें तैयार किया और आज वही शिक्षक है, जो पूरी दिल्ली के अंदर शिक्षा क्रांति ला रहे है।

उन्होंने ने कहा कि शिक्षा विभाग के दिन रात के मेहनत के कारण ही आज दिल्ली का शिक्षा मॉडल पूरे देश और विदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है और अन्य राज्यों के शिक्षा विभाग शिक्षा के क्षेत्र में कुछ नया करने से पहले एकबार दिल्ली मॉडल के बारे में जरुर रिसर्च करते है और दिल्ली को अपना स्टैण्डर्ड मनाते हुए निर्णय लेते है जो हमारे लिए गर्व की बात है।

केजरीवाल सरकार के स्कूलों के लिए आयोजित वर्चुअल मेगा बुक फेयर की विशेषताएं

बता दें कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में 3 टियर पर लाइब्रेरी सिस्टम को लागू किया जाता है पहले प्री-प्राइमरी व प्राइमरी लेवल, दूसरा मिडिल स्कूल लाइब्रेरी जो 8वी तक के बच्चों के लिए होता है और तीसरा अकेडमिक नीड ऑफ़ आल स्टूडेंट जो क्लास 12 तक के बच्चों के लिए होता है इसके लिए केजरीवाल सरकार ने इस साल 9 करोड़ का बजट आवंटित किया है।

स्कूल में लाइब्रेरी की किताबे स्कूल के डोरस्टेप तक पहुचे और बच्चों के क्लास रूम तक पहुचे उसके लिए केजरीवाल सरकार द्वारा मेगा बुक फेयर का आयोजन किया जा रहा है।इसमें 340 पब्लिशर भाग ले रहे है और 8000 पुस्तके शामिल है।

अब एक स्क्रूटनी कमिटी यह तय करती है कि किसी पब्लिशर की किताबें कितनी अच्छी है, वह बच्चों के लिए उपयोगी है, लाइब्रेरी में होनी चाहिए, बच्चों की दोस्त की तरह काम करेंगी, बच्चों के करियर में गाइड करेंगी, बच्चों के सपनों को सच करने में उनकी मदद करेगी।कमिटी ये तय करती है कि किताबें खरीदी जाने लायक है और लाइब्रेरी के लिए उपयोगी है या नहीं है।इस लिस्टिंग के बाद निदेशालय द्वारा एक ऑफलाइन बुक फेयर का आयोजन किया जाता था जहाँ स्कूल अपने जरुरत के हिसाब से किताबें खरीद सकते थे। इस बार भी स्क्रूटनी कमिटी ने 8000 किताबों की एक लिस्ट तैयार की है और शिक्षा निदेशालय के आईटी ब्रांच और लाइब्रेरी ब्रांच ने मिलकर एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जहाँ स्कूल ऑनलाइन माध्यम से वर्चुअल मेगा बुक फेयर से जुडकर अपने टीचर्स और स्टूडेंट्स की जरुरत के हिसाब से किताबों को खरीद सकते है।

इस कार्यक्रम के ऑनलाइन मॉड्यूल को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि शिक्षा निदेशालय के वेबसाइट पर जाकर सभी शिक्षक, विद्यार्थी इसका वर्चुअल टूर ले सकते है। इस बुक फेयर में 340 पब्लिशर्स की 8000 से ज्यादा किताबों को चयनित किया गया है। इन विभिन्न पब्लिशर्स की किताबों को 14 नवम्बर से 1 दिसम्बर तक शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि स्कूल अपने पुस्तकालयों के लिए और बच्चों में पढ़ने की रूचि विकसित करने के लिए बेहतरीन किताबों का चयन कर सके। साथ ही स्कूल व स्टूडेंट्स वेबसाइट पर अपनी पसंद की किताबों के बारे में अपने सुझाव दे सकते है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों और विशेष रूप से स्कूलों का अपने पुस्तकालयों के लिए पुस्तकों के चयन में सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना है।

कैसे काम करेगा वर्चुअल मेगा बुक फेयर का ऑनलाइन मॉड्यूल

ये मॉड्यूल 3 हिस्सों में काम करेगा:

1.स्कूल- स्कूल वर्चुअल मेगा बुक फेयर से अपने पुस्तकालयों व बच्चों की जरूरतों के अनुसार वर्चुअल टूर के माध्यम से किताबों का चयन करेंगे और किताबों को खरीदने के लिए पब्लिशर्स को आर्डर दे पाएंगे।

2.पब्लिशर्स- पब्लिशर्स इस ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से स्कूलों से किताबों के आर्डर लेंगे और किताबों को स्कूलों तक पहुँचाने का काम करेंगे।

3.शिक्षा निदेशालय का लाइब्रेरी ब्रांच इस पूरी प्रक्रिया पर नज़र बनाए रखेगा और लगातार मोनिटरिंग करता रहेगा।

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