चीनी सेना को चींटियों की तरह मसल देगी,भारत की मांउटेन स्ट्राइक कोर
नई दिल्ली :-हाल में ही चीन के घुसपैठी सैनिकों को जिन फौजियों ने पीटा, वो जे एंड के राइफल्स,सिख और जाट रेजिमेंट के थें। ज्ञातव्य हो कि भारतीय सेना के पास एक ऐसी टीम है,जोकि पहाड़ों पर युद्ध के लिए ही प्रशिक्षित हुई है। यह सैनिक चीनियों को चींटी की तरह मसल सकते हैं और उनसे जम कर लोहा ले सकते हैं।उक्त जवान भारतीय सेना के माउंटेन स्ट्राइक कोर से आते हैं।इसे 17वीं कोर भी कहा जाता है। लेकिन प्यार से फौजी इसे ब्रह्मास्त्र कोर भी कहते हैं।यह कोर साल 2013 से लगातार सक्रिय है।इसकी ट्रेनिंग बेहद कठिन होती है।माउंटेन स्ट्राइक कोर के जवानों को क्लोज-क्वार्टर कॉम्बैट,कोल्ड वेदर वॉरफेयर,कंबाइंड आर्म्स,घुसपैठ रोधी अभियान,आतंकवाद रोधी अभियान, फॉर्वर्ड ऑब्जरवर,जंगल वॉरफेयर, माउंटेन वॉरफेयर,यह रेड जासूसी और शहरी वॉरफेयर में प्रशिक्षित माना जाता है।माउंटेन स्ट्राइक कोर का मुख्यालय पश्चिम बंगाल के पन्नागढ़ में है।यह पूर्वी कमांड के अंदर आता है।माउंटेन स्ट्राइक कोर में फिलहाल दो डिविजन हैं।23 इन्फैन्ट्री डिविजन,यह रांची में स्थित है और दूसरी 59 इन्फैन्ट्री डिविजन जो पन्नागढ़ में है। इसमें छह ब्रिगेड्स है।तीन इन्फैन्ट्री एक-एक इंजीनियरिंग,एयर डिफेंस और आर्टिलरी ब्रिगेड है।माउंटेन स्ट्राइक कोर का मैस्कट स्नो लेपर्ड है,जोकि ताकत,बहादुरी और चालाक शिकारी होता है।
माउंटेन कोर का मुख्य काम है, अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश में चीनियों से सीमा की सुरक्षा करना,क्योंकि तिब्बत के साथ भारत की 4057 किलोमीटर लंबी सीमा है। इतनी लंबी सीमा पर सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित जवानों की जरुरत होती है। अन्य जवान माउंटेन कोर से बेहतर नहीं हो सकते।कोर में पहले करीब 1200 ऑफिसर्स और 35 हजार फौजी थें।लेकिन हमारे जवानों से चीनी ज्यादा थें।इसके बाद माउंटेन कोर में जवानों की संख्या बढ़ाई जाने लगी।प्लान बनाया गया कि इसमें 90 हजार फौजियों को रखा जाए। इस कोर को धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है।
इसकी ताकत, हथियार, संख्या, सुविधाएं लगातार बढ़ाई जा रही हैं।बेहद बर्फीली जगहों पर वे फौजी युद्ध करने में सक्षम होते हैं।वे अपने शरीर को माइनस तापमान के हिसाब से ढालते हैं।इनकी कमांडो जैसी ट्रेनिंग होती है और वे एक तेंदुए की तरह हमला करने वाले ताकतवर शिकारी हैं।वे स्नो कैमोफ्लॉज पहनते हैंताकि बर्फ में दिखाई न पड़े।भारतीय सेना हर साल 100 अधिकारी और 400 नॉन-कमीशन्ड ऑफिसर्स और जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर्स को हाई-एल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल में ट्रेनिंग के लिए भेजती है। यहां ट्रेनिंग करने वालों को सियाचिन ग्लेशियर के पास सीमा पर तैनात किया जाता है।