चाइल्ड पोर्न को रोकने के लिए आवश्यक प्रभावी कदम उठाए हाईकोर्ट
रिपोर्ट :- कशिश
नई दिल्ली :-दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स पर चाइल्ड पोर्न कंटेंट पर प्रतिबंध लगाने के लिए सोशल मीडिया को निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को ऐसे कंटेंट को अपलोड होने से रोकने के लिए सभी आवश्यक प्रभावी कदम उठाने चाहिए। सोशल मीडिया से चाइल्ड पोर्न हटाने के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह निर्देश दिए।
न्यायमूर्ति विभू बाखरू की एकल पीठ के समक्ष फेसबुक और इंस्टाग्राम की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और अन्य वकीलों ने कहा कि फेसबुक पर चाइल्ड पोर्न से जुड़े कंटेंट या फोटो को हटाने के लिए पहले ही काम किया जा रहा है। ऐसे कंटेट का पता लगते ही उसे हटा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि फेसबुक एक गैर सरकारी संस्था नेशनल सेंटर फोर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (एलसीएमईसी) के साथ मिलकर भी ऐसी सामग्री की मॉनिटरिंग करती है, जो उनके प्लेटफार्म पर पहचाने गए पोर्न चाइल्ड कंटेंट को हटाने में भी सहयोग करती है।
इसके इलाका ऐसे कंटेंट को रिपोर्ट करने का भी ऑप्शन दिया गया है, ताकि यूजर ऐसी कंटेंट को रिपोर्ट करने के बाद उसे साइट से हटवा सकें। वहीं दूसरी ओर गूगल एलएलसी की ओर से वकील साजन पुवैय्या व अन्य वकीलों ने भी पीठ को बताया कि यूट्यूब पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए कड़े कदम पहले से ही उठाए जा रहे हैं और ऐसे कंटेंट पर रोक लगाने की पूरी कोशिश जारी है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक कुमार छाबड़ा और धुव भगत ने पैरवी की।याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा कि वह जब स्कूल में भी तो वह एक लड़के के संपर्क में आई थी। उसके बाद उन दोनों की दोस्ती रिलेशनशिप में बदल गई थी। लड़की का डआरोप है कि लड़का उसे शसकी अंतरंत तस्वीरें देने के लिए मजबूर करता था और इन्हीं हरकतों की वजह से लड़की ने उससे ब्रेकअप कर लिया था।
स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए लंदन चली गई, लेकिन आरोपी ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। इसके बाद जब लड़की मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया गई तो उसे पता लगा कि आरोपी लड़के ने उसकी अंतरंग तस्वीरों को सोशल मीडिया ट्वीटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और अन्य जगहों पर अपलोड कर दिया है।
इसके बाद पीड़िता ने मामले की शिकायत दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा की स्पेशल सेल और सोशल मीडिया से उसकी तस्वीरें हटवाने की मांग की। हालांकि मामला कोर्ट में जाने के बाद सोशल मीडिया प्लेटमार्म से पीड़िता की तस्वीरें हटा दी गई हैं। पीठ ने इस मामले में सोशल मीडिया को निर्देश देने के साथ ही दिल्ली पुलिस को भी निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता से जुड़ी आपत्तिजनक सामग्री को राष्ट्रीय अपराध रिपोर्ट ब्यूरो (एनसीआरबी) को सौंपे।