एयर बब्बल व्यवस्था क्या है?

रिपोर्ट:-दौलत शर्मा

नई दिल्ली :-यह एक ख़ास तरह का एयर कॉरिडोर होता है जिसके ज़रिए दो देश आपसी सहमति से हवाई यात्रा करने का समझौता करते हैं.

कोरोना के कारण अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर पाबंदी लगी हुई है, ऐसे में एयर बबल्स के ज़रिए कोई भी दो देश ज़रूरी शर्तों को ध्यान में रखते हुए एयर बबल्स के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मंज़ूरी दे सकते हैं.

भारत में कोरोना के कारण 23 मार्च के बाद से अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों पर पाबंदी लगा दी गई थी.

हालांकि भारत सरकार ने 22 अक्टूबर से सभी विदेशी नागरिकों के साथ-साथ सभी ओसीआई और पीआईओ कार्डधारकों को हवाई या समुद्र मार्ग से भारत की यात्रा करने की अनुमति दे दी है. हालांकि पर्यटक वीज़ा पर विदेशियों के भारत आने पर रोक अब भी बरकरार है।

भारत सरकार ने 23 देशों के साथ एयर बबब्ल करार किया है.ब्रिटेन और यूरोप से फ्लाइट बैन पर जानकारों की राय अलग-अलग
आईसीएमआर के साथ में पूर्व में जुड़े महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉक्टर रमन गंगाखेडकर कहते हैं फिलहाल ब्रिटेन में पाई गई वायरस की नई स्ट्रेन डेनमार्क, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इटली में भी पाया गया है. दक्षिण अफ्रीका में भी मिलती जुलती स्ट्रेन मिलने की बात सामने आ रही है. पूरे यूरोप में ट्रैवल एक दूसरे देश से बहुत हद तक जुड़ा हुआ है. इसलिए यूरोप के दूसरे देशों में ब्रिटेन वाला नया वायरस स्ट्रेन मिलने की ख़बर आने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

इसलिए ज़्यादातर ब्रिटेन से आने-जाने वाली फ्लाइट, यूरोप के देश ही बैन कर रहे हैं.

डॉक्टर रमन गंगाखेडकर आगे कहते हैं, “भारत में ब्रिटेन और यूरोप से ट्रैवल बैन का निर्णय लेने के लिए दो बातों पर सरकार को ग़ौर करना होगा. ब्रिटेन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस नए वायरस स्ट्रेन के लिए कैसा और क्या प्रमाण दिया है. अगर ये केवल लैब बेस्ड प्रमाण है तो हमें थोड़ा रुक कर नए वायरस स्ट्रेन का मानव जाति पर असर और प्रमाण का इंतज़ार करना चाहिए. केवल लैब में बैठ कर नए वायरस स्ट्रेन के संक्रमण दर पर शोध करेंगे, तो मानव जाति पर उसके पूरे असर और प्रमाण के बारे में पता नहीं कर पाएंगे. अभी तक ये भी नहीं पता है कि नया वायरस कितना घातक है।

“भारत सरकार को चाहिए कि वो सबसे पहले ये पता करे कि क्या नया वायरस स्ट्रेन भारत में मौजूद है या नहीं. भारत सरकार पहले से कोरोना वायरस के लिए मॉलिक्यूलर एपिडेमोलॉजिकल सर्विलांस कर ही रही है. ऐसे में भारत में ये नया स्ट्रेन मौजूद है या नहीं ये पता लगाने में 24 से 36 घंटे का वक़्त लगेगा. अगर ये स्ट्रेन भारत में पहले से मौजूद है तो ब्रिटेन और यूरोप से फ्लाइट बैन करके कुछ हासिल नहीं होगा।

ग़ौरतलब है कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के कारण क्रिसमस से पहले ब्रिटेन में कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए है. इसे वायरस के प्रसार को कुछ इलाकों तक सीमित रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

लेकिन अगर देश में नया वैरिएंट नहीं आया हो तो क्या फ्लाइट बैन करना ठीक है?

इस पर रमन गंगाखेडकर कहते हैं, “उसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने ब्रिटेन ने जो आँकड़े और प्रमाण रखे हैं, उसको देखना होगा. ये प्रमाण पब्लिक की जानकारी में नहीं है. केवल बयानों के आधार पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता. विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बारे में कुछ बता दे तो फैसला लेने में दूसरे देशों को आसानी होगी।

वायरस के नए वेरिएंट के बारे में पूरी तरह जाने अचानक से फ्लाइट बैन का फैसला लेना ऐसा ही है जैसे आँख बंद कर कोई तीन सीढ़ी नीचे आपको कोई छलाँग लगाने को कहे. अभी नए वेरिएंट के बारे में पता चले केवल 36 घंटे ही हुए हैं।

लेकिन भारत में पूर्व में डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विस के पद पर रहे जगदीश प्रसाद, रमन गंगाखेडकर की बात से इत्तेफ़ाक नहीं रखते.

वो कहते हैं, “भारत को तुंरत ब्रिटेन से आने वाली फ्लाइट बंद कर देना सही क़दम है. हमने पहले भी फ्लाइट बंद ना करने की कीमत चुकाई है. इसके पहले जब दुनिया में इबोला वायरस फैल रहा था, उस वक़्त हमारे देश में वो पैर नहीं पसार पाया. उस वक़्त हमने अफ्रीका से आने वाले सभी फ़्लाइट बैन तुरंत कर दिया था।

जगदीश प्रसाद साल 2011 से 2018 तक भारत के स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक के तौर पर कार्यरत रहे थे.

उनका कहना है कि ब्रिटेन में जो वायरस का नया वेरिएंट पाया गया है, उसके बारे में जब तक ज़्यादा जानकारी नहीं मिल जाती तब तक के लिए हमारे पास यही विकल्प है. इसके अलावा वहाँ से हाल में आए लोगों को टेस्ट, ट्रेस और आइसोलेट भी करना होगा. इस बीच भारत के वैज्ञानिकों को नए वायरस वेरिएंट के बारे में शोध करते रहने की ज़रूरत है, ताकि वायरस की नई स्ट्रेन के चाल चरित्र के बारे में जानकारी मिल सके।

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