आदि महोत्सव: जनजातीय संस्कृति से लोगों को परिचित कराने का बड़ा प्रयास
रिपोर्ट :- पूनम यादव
नई दिल्ली :- दिल्ली हाट में आदिवासी कला, संस्कृति और व्यंजनों को प्रदर्शित करने वाले राष्ट्रीय उत्सव ‘आदि महोत्सव’ का शुभारंभ हो गया है। यह भारत में आदिवासी समुदायों की समृद्ध संस्कृति से लोगों को परिचित कराने का एक सार्थक प्रयास है। 2021 का संस्करण भारत की विभिन्न जनजातियों की विविध विरासतों को उनकी कला, हस्तशिल्प, प्राकृतिक उत्पाद और व्यंजनों के सम्मिश्रण के माध्यम से प्रदर्शित कर रहा है।
प्रख्यात आदिवासी नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के पोते सुखराम मुंडा ने केंद्र से आदिवासी समुदाय के सदस्यों को शिक्षित करने और उन्हें बेहतर आजीविका अर्जित करने की अपनी पहल को देश के हर कोने तक पहुंचाना सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। उन्होंने आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय पर भी खुशी जताई।
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा माइक्रोब्लॉगिंग साइट कू पर पोस्ट कर कहा उनका मंत्रालय आदिवासी समुदाय के सदस्यों को सहायता उपलब्ध कराना जारी रखेगा। आदि महोत्सव – राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव अब दिल्ली हाट में 30 नवंबर तक सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक होगा। हस्तशिल्प जनजातीय सामानों से खरीदारी करते हुए आदिवासी संस्कृति की समृद्धि का अनुभव कराता है।
2017 में हुई भी आदि महोत्सव की शुरुआत
जनजातीय संस्कृति, शिल्प, भोजन और वाणिज्य की भावना के उत्सव ‘आदि महोत्सव’ की शुरुआत 2017 में की गयी थी। यह महोत्सव देश भर में आदिवासी समुदायों के समृद्ध और विविध शिल्प तथा संस्कृति से लोगों को परिचित कराने का एक प्रयास है।
*Embed Koo Link* Koo App”Aadi Mahotsav” – The National Tribal Festival is now live at Dilli Haat until November 30th from morning 11am to 9 pm and experience the richness of tribal culture while shopping from handcrafted tribal goods. #Vocal4local #Buytribal View attached media content – Arjun Munda (@arjunmunda) 17 Nov 2021
आदि महोत्सव 2021 के लिए कू ऐप को सोशल मीडिया पार्टनर
आदि महोत्सव 2021 के लिए कू ऐप (Koo App) ने जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ यानी ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन (ट्राइफेड) के साथ साझेदारी की है। 15 दिनों के महोत्सव के लिए सोशल मीडिया पार्टनर के रूप में, कू (Koo) भारत की जनजातियों और उनकी संस्कृति के बारे में बातचीत को सक्षम और प्रसारित करेगा।