आज का दिन क्या याद है सबको?

रिपोर्ट :- प्रियंका झा

नई दिल्ली:-आज 8 नवंबर है, और नोटबंदी के पूरे चार साल हो गए विपक्ष लगातार नोटबंदी को सरकार का गलत फैसला ठहराता आया है जबकि सरकार का मानना है कि नोटबंदी का सकारात्मक असर रहा हालांकि, जिस उम्मीद के साथ सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया था, उतने बेहतर परिणाम नहीं मिले।

दरअसल, नोटंबदी की चर्चा आज भी होती है, क्योंकि इससे हर एक भारतीय का सामना हुआ था 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी साथ ही 200, 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे।

छोटे उद्योगों को उठाना पड़ा नुकसान-
देश में लोग नोटबंदी से हुई परेशानी को अब तक भूले नहीं हैं नोटबंदी का सबसे ज्‍यादा प्रभाव उन उद्योगों पर पड़ा, जो ज्‍यादातर कैश में लेनदेन करते थे इसमें अधिकतर छोटे उद्योग शामिल होते है नोटबंदी के दौरान इन उद्योगों के लिए कैश की किल्‍लत हो गई इसकी वजह से उनका कारोबार ठप पड़ गया लोगों की नौकरियां गईं।


नोटबंदी लाने की मोदी सरकार ने कई वजहें बताईं इसमें कालेधन का खात्मा करना, सर्कुलेशन में मौजूद नकली नोटों को खत्म करना, आतंकवाद और नक्सल गतिविधियों पर लगाम कसने समेत कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने जैसे कई वजहें गिनाई गई थीं।

सरकार का तर्क है कि नोटबंदी के बाद टैक्स कलेक्शन बढ़ा और कालेधन में इस्तेमाल होने वाला पैसा सिस्टम में आ चुका है लेकिन इससे जुड़े आंकड़े चार साल के बाद भी सामने नहीं आए हैं आरबीआई के आंकड़े कहते हैं कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए 99.30 फीसदी 500 और 1000 के पुराने नोट बैंक में वापस आ गए।

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