आखिर क्यों 13 साल में भी नहीं बन पाया दिल्ली का ये अस्पताल

रिपोर्ट :- दौलत शर्मा

नई दिल्ली :-चुनाव से पहले पार्टियां स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े-बड़े वादे करती हैं जिनमें वह हॉस्पिटल बनवाने के वादे करते हैं स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के वादे करते हैं।

मगर देखा जाए तो जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। ऐसा ही कुछ नजारा दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर मैं देखने को मिला है, वहां पर 13 साल पहले एक 250 बैठ के हस्पताल की नींव रखी गई थी। जिसका उद्घाटन उस समय मौजूद मुख्यमंत्री स्वर्गीय सिला दीक्षित थी और खुद उन्होंने के हस्पताल का उद्घाटन किया था मगर अब 13 साल बीतने के बाद भी यहां हॉस्पिटल बनकर तैयार नहीं हुआ है और यह हॉस्पिटल राजनीति की भेट चढ़ गया जब 2008 में इसका उद्घाटन किया गया था उस समय मौजूद विधायक बलराम तवर भी मौजूद थे।

उन्होंने आर सोनी न्यूज़ से बातचीत करते हुए बताया कि जब 2008 में पहली बार उद्घाटन हुआ था तो इसकी एंट्री गेट और बाकी बाउंड्री वॉल हो गई थी मगर कुछ विवाद के चलते काम रुक गया फिर दोबारा 2012 में इसका उद्घाटन हुआ काम शुरू हुआ मगर फिर जब 2013 में दोबारा चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस हार गई और दिल्ली की सत्ता आम आदमी पार्टी के पास चली गई उसके बाद से यहां पर काम बंद हो गया अस्पताल का काम पूरी तरह से बंद कर दिया गया और जब से इसको दोबारा चलाया नहीं गया।

इस बयान से साफ पता लगाया जा सकता है कि किस तरीके से राजनीतिक कलह के चलते बेचारी आम जनता का नुकसान हुआ क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर ने दिल्ली को पूरी तरह से तबाह कर दिया था और उस समय यह ढाई सौ बेड का अस्पताल कितना काम आता ऐसा ही कुछ वहां के स्थानीय निवासी भी बताते हैं।

छतरपुर से सटा हुआ मैदान गढ़ी के कुछ लोग भी जब 2008 में इसका उद्घाटन हुआ था तो वहां उद्घाटन में पहुंचे थे उनको आस थी कि इतना बड़ा हॉस्पिटल उनके क्षेत्र में बनने जा रहा है जिससे उनका और बाकी ग्राम वासियों का कितना भला होगा मगर उन्हें क्या पता था कि राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा यह अस्पताल।

उन्हीं में से वहां के स्थानीय निवासी महावीर प्रधान ने आर सोनी न्यू से बातचीत करते हुए बताया कि जब इस अस्पताल का उद्घाटन हो रहा था तो उनके चेहरे पर बहुत खुशी थी क्योंकि आसपास कोई बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं था और यह अस्पताल बनने जा रहा था और उम्मीद थी कि इस अस्पताल सहित कई गरीब लोगों का भला होगा मगर इस जगह अस्पताल बन नहीं पाया सिर्फ बोर्ड टंगा रह गया और वह लोग भी काफी मायूस हो गए आगे उन्होंने बताया कि अब हम सरकार के खिलाफ एक्शन लेंगे कि इतने सालों से उन्होंने यह अस्पताल क्यों रोक रखा है जिस तरीके से कोरोना की दूसरी लहर आई थी जिसमें क्षेत्रवासियों ने कितने अपने लोगों को गवा दिया अगर यह अस्पताल राजनीति की भेंट ना चढ़कर बन जाता तो कितने लोगों की हम जान बचा पाते और वह अभी हमारे बीच होते और इस बीमारी से लड़ने के लिए भी हमारे पास विकल्प होता लेकिन अस्पताल राजनीति की भेंट चढ़ गया और गरीब जनता का नुकसान हो गया।

साथ ही साथ इस पर कई क्षेत्र निवासियों ने सवाल उठाए और एलजी समेत पीडब्ल्यूडी और दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर इसके बारे में जवाब मांगा कि अभी तक यह अस्पताल बनकर तैयार क्यों नहीं हुआ जबकि इसकी नींव 2008 में रख दी गई थी वाक्य क्षेत्र के निवासी ऋषि पाल महाशय जिन्होंने यह सारे पत्र संबंधित विभाग तक पहुंचाएं और साथ ही साथ उन्होंने बताया आगे भी वह यह लड़ाई जारी रखेंगे और दिल्ली सरकार से पूछेंगे कि जब आपका कार्यकाल शुरू हुआ क्योंकि करीब 7 साल हो गए हैं अब आदमी पार्टी को दिल्ली की सत्ता संभाले मगर अभी तक उस हॉस्पिटल पर आम आदमी पार्टी के नेताओं और वहां के स्थानीय विधायकों ने ध्यान नहीं दिया है और उनके खिलाफ अब वहां के स्थानीय निवासियों ने मोर्चा खोल दिया है और सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

जब आर सुनी न्यूज़ की टीम इसकी पड़ताल करने पहुंची तो वहां देखा जो बाउंड्री वॉल बनाई गई है उसके पत्थर उखाड़ दिए गए थे और जो गेट बनाया गया था उसको भी तोड़ दिया और आसपास गेट की लगी बाउंड्री को भी पूरी तरह से तहस-नहस कर रखा है और जो वह जमीन जहां पर हर साल बनना था अब वह जंगल मैं तब्दील हो गया है बस अस्पताल के नाम पर वहां पर रह गया है एक बोर्ड जिस पर लिखा है कि यहां पर दिल्ली सरकार द्वारा बनवाया जा रहा है ढाई सौ बेड का अस्पताल।

लगातार वहां की आम जनता भी सवाल कर रही है कि जब इसकी न्यू 2008 में रख दी गई थी तो अभी तक क्यों नहीं बना और गरीबों के साथ और आम जनता के साथ इतना बड़ा धोखा सिर्फ राजनीतिक कलह चलते क्यों किया गया।

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